51
विश्नोई समाज की 29 नियमों का पालन करती थी रुक्मा देवी, आखिरी सांस भी इसी काम में ली
गच्छीपुरा:
विश्नोई समाज की रुक्मा देवी (83) का निधन हो गया। उन्होंने जीवन को मूक पशु-पक्षियों की सेवा करने में बिताया। रुक्मा देवी का कहना था कि उनकी सेहत और स्वास्थ्य का रहस्य रोजाना एक घंटे योग करने में है, साथ ही विश्नोई समाज के 29 नियमों का पालन करने में।रुक्मा देवी जैसे नेतृत्व का सामाजिक काम करने वाले लोगों का असाधारण योगदान समाज के विकास में होता है। उनकी मृत्यु समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें स्वस्थ और सकारात्मक जीवन जीने के लिए समाज सेवा में योगदान करना चाहिए।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- जीवन के आधार: रुक्मा देवी ने विश्नोई समाज के 29 नियमों का पालन कर मूक पशु-पक्षियों की सेवा कर महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे उन्हें जीवन का आधार मिला।
- प्राकृतिक संरक्षण: उनका जीवन प्राकृतिक संरक्षण के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गया, जिसने वन्यजीवों के संरक्षण और सेवा को बढ़ावा दिया।
- सामाजिक समर्पण: उनकी इस सेवा ने सामाजिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे लोगों में जागरूकता और सामाजिक संवाद बढ़ा।
- प्रेरणास्त्रोत: रुक्मा देवी की इस उदाहरणीय जीवनी ने लोगों को प्रेरित किया है कि न केवल अपने लिए बल्कि प्राकृतिक संरक्षण के लिए भी समर्पित जीवन जिएं।
- रुक्मा देवी को कभी बीमारी नहीं हुई थी।